देशभर में मानसून की दस्तक के साथ ही मौसम ने अलग-अलग रूप दिखाने शुरू कर दिए हैं। कई राज्यों में तेज बारिश हो रही है तो कुछ क्षेत्रों में हल्की बूंदाबांदी ने मौसम को सुहावना बना दिया है। खासकर उत्तर भारत और पहाड़ी राज्यों में भारी बारिश के कारण स्थिति चिंताजनक हो गई है। वहीं, मौसम विभाग (IMD) ने जुलाई के पूरे महीने के लिए देश के कई हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना जताई है। इससे एक तरफ किसानों के लिए राहत की खबर है, तो दूसरी ओर लैंडस्लाइड और बाढ़ जैसी आपदाओं की आशंका भी बढ़ गई है।
पहाड़ी राज्यों के लिए खतरे की घंटी
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के चलते लैंडस्लाइड की घटनाएं बढ़ गई हैं। हिमाचल के मंडी जिले में ब्यास नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। कई इलाकों में सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं और आवाजाही बाधित हो गई है। मंडी, कांगड़ा और चंबा जैसे जिलों में लैंडस्लाइड की वजह से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है।
मंडी निवासी सुशील कुमार ने बताया, “लगातार हो रही बारिश के कारण कई इलाकों में मलबा गिरा है और छोटे पुलों को नुकसान हुआ है। लोग अब घरों से बाहर निकलने से डर रहे हैं।” मौसम विभाग ने हिमाचल प्रदेश में ‘रेड अलर्ट’ जारी किया है और लोगों से अपील की है कि अनावश्यक यात्रा न करें और सुरक्षित स्थानों पर रहें।
जुलाई में मानसून की चाल और संभावित खतरे
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार जुलाई में देशभर में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। विशेष रूप से उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, महाराष्ट्र और पूर्व-मध्य भारत के अन्य हिस्सों में भारी वर्षा की संभावना जताई गई है। इन राज्यों में बाढ़ की आशंका को देखते हुए सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।
IMD ने चेताया है कि जलाशयों और बांधों के जलस्तर की लगातार निगरानी की जानी चाहिए ताकि बारिश के समय जलप्रवाह को नियंत्रित किया जा सके और किसी भी आपदा की स्थिति से बचा जा सके।
दिल्ली-NCR में भी मानसून का असर
राजधानी दिल्ली और एनसीआर (नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद, फरीदाबाद) में भी मानसून सक्रिय हो चुका है। 30 जून से 6 जुलाई तक बारिश की गतिविधियां लगातार देखने को मिलेंगी। हल्की और मध्यम बारिश के कारण तापमान में गिरावट आई है, जिससे लोगों को गर्मी से राहत मिली है। मौसम में ठंडक घुल जाने से खासकर बच्चों और बुजुर्गों को काफी सुकून मिल रहा है।
हालांकि, जलभराव और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याएं एक बार फिर सामने आ रही हैं। नोएडा निवासी भावना शर्मा बताती हैं, “हर बार की तरह पहली ही बारिश में सड़कों पर पानी भर गया, और ऑफिस पहुंचने में काफी मुश्किल हुई।”
किसे मिला ऑरेंज अलर्ट?
आज के लिए IMD ने निम्नलिखित राज्यों और क्षेत्रों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है:
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असम, नागालैंड, मणिपुर: यहां तेज हवाओं के साथ भारी बारिश की चेतावनी दी गई है।
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उत्तर प्रदेश (दक्षिणी), मध्य प्रदेश (पूर्वोत्तर), छत्तीसगढ़ (उत्तर), गुजरात (खेरा, वडोदरा, छोटा उदेपुर आदि): मध्यम से भारी बारिश की संभावना।
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हिमाचल प्रदेश: मंडी और आसपास के क्षेत्रों में ऑरेंज के साथ रेड अलर्ट भी जारी किया गया है।
खेती और मानसून का रिश्ता
जुलाई का महीना कृषि के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। मानसून के चार महीने — जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर में से जुलाई में औसतन 28 सेमी बारिश होती है, जो कुल 87 सेमी एलपीए (Long Period Average) का लगभग एक तिहाई है। इस समय धान, मक्का, सोयाबीन जैसी खरीफ फसलों की बुवाई होती है और बारिश की मात्रा ही इन फसलों की गुणवत्ता और उपज को तय करती है।
इस लिहाज से मानसून का सामान्य से बेहतर प्रदर्शन किसानों के लिए एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन बाढ़ और जलभराव जैसी स्थितियां उनके लिए नुकसानदेह भी बन सकती हैं।